Mazaar Par Hazri Ka Tariqa ।। मजारात पर हाजरी का तरीक़ा
📗 औरतों को मज़ारात पर जाने की इजाज़त नहीं , मर्दों के लिए इजाज़त है मगर वो भी कुछ ऊसूल के साथ
पेशानी {माथा} ज़मीन पर रखने को सजदा कहा जाता है ये अल्लाह तबारक व तआला के अलावा किसी के लिए हलाल नहीं
किसी बुज़ुर्ग को उसकी जिंदगी में या वेसाल के बाद सजदा करना हराम है
कुछ लोग मज़ारात पर जाकर नाक और पेशानी {माथा} रगड़ते हैं यह बिल्कुल हराम है
मजारात पर तवाफ करना यानि उसके गिर्द (खाना ए काबा की तरह चक्कर लगाना ) भी नाजायज़ है
अदब के लिहाज़ से कमसे कम चार हाथ के फासले पर खड़ा हो कर फातेहा पढ़ें और बोसा (चूमना) और छुना भी मुनासिब नहीं
📚{अहकामे शरीअत , सफ़ह 234}
📚{फ़तावा रज़विया, जिल्द 10, सफ़ह 54-56}
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