तहज्जुद में कुरान कैसे पढ़ना चाहिए | Tahajjud Me Quran
हज़रत अबू हुरैरह रज़ी अल्लाहो तआला अनहो से रवायत है कि नबी सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम रात की नमाज़ में क़ुरान कभी बुलंद आवाज़ से पढ़ते थे और कभी धीरे से पढ़ते थे
तो अगर आप के साथ कोई सो नहीं रहा हो तो आप तेज़ आवाज़ से तहज्जुद की नमाज़ में क़ुरान की तिलावत कर सकते हैं नहीं तो आहिस्ता ही तिलावत करें
ये ज्यादा अच्छा है इस लिए कि आप के तेज़ आवाज़ से क़ुरान पढ़ने से किसी की नींद में खलल पड़ा तो तहज्जुद की फजीलत हासिल नहीं होगी
क्योंकि किसी को तकलीफ़ में डाल कर अल्लाह की इबादत करना हर हाल में मुनासीब नहीं है
तहज्जुद में कौन सी सूरतें पढ़ें? | Tahajjud Ki Suratein
हम ने आप को बताया कि तहज्जुद एक नफल नमाज़ है और किसी भी नमाज़ के लिए कोई ख़ास सुरह मुकर्रर नहीं है क़ुरान की कोई भी सूरत पढ़ सकते हैं
अगर कोई सुरह बड़ी हो तो उसका कुछ हिस्सा भी पढ़ सकते हैं मतलब ये कि पूरे क़ुरान में जहां से आप चाहें पढ़ सकते हैं और अगर आप को छोटी सूरत ही याद है तो कोई बात नहीं आप छोटी छोटी सुरह भी पढ़ सकते हैं
सुरेह यासीन ये एक बड़ी सुरह है जिसे लोग 8 रकात में पूरा करते हैं और लोग इस सूरह को काफ़ी सही मानते हैं क्योंकि कई किताबों में बड़ी सुरत को तोड़ तोड़ कर पढ़ने को कहा गया है
और अगर आप को बड़ी सुराह याद नहीं है तो आप मायुस न हों अगर आप को एक ही सुराह याद है तो उसी को आप बार बार हर रकात में पढ़ सकते हैं
बेहतर यही होगा कि आप ज्यादा से ज्यादा सुरत याद करने की कोशिश करें और इस के लिए आप हमारे आने वाली हर पोस्ट को पढ़ें आपके लिए
हम छोटी छोटी सुरतें जो आपको आसानी से याद हो जाए लेकर आएंगे
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