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सवाल
अगर कोई औरत किसी के निकाह में है और वह निकाह तोड़ना चाहती है तो क्या वह निकाह तोड़ सकती है या नहीं
जवाब
अल्लाह रब्बुल इज्ज़त ने तलाक़ देने का इख्तियार सिर्फ़ मर्द को ही दिया है ना की औरत को इस लिए तलाक़ मर्द ही दे सकता है औरत नहीं दे सकती हां शौहर की तरफ़ से तफवीज किए जाने पर बीवी को तलाक़ का इख्तियार हासिल हो जाता है लेकिन इस इख्तियार की सूरत में वह खुद को तलाक़ दे सकती है शौहर को तलाक़ नहीं दे सकती
अल्लामा इब्नआबेदीन शामी लिखते हैं कि अगर मर्द ने औरत को तलाक़ का मालिक बनाया और औरत ने मर्द को तलाक़ दे दी तो तलाक़ नहीं होगा
तलाक़ तफवीज़: शरीअत में तलाक़ देने का असल और पुरा इख्तियार मर्द को दिया है लेकिन अगर मर्द चाहे तो अपना ये इख्तियार बीवी को या किसी दुसरे को दे सकता है इसको फकही इस्तेलाह में "तलाक़ तफवीज़" कहा जाता है और तफवीज़ तलाक़ के बाद औरत को अपना इख्तियार इस्तेमाल करने की मुद्दत शौहर के अल्फाज़ के ऐतबार से मुख्तलिफ हो सकती है
और तफहिमूल मसाइल में है कि, तलाक़ इस्लातन और बिज्जात शौहर का हक़ है और वह जब चाहे इसे इस्तेमाल कर सकता है लेकिन शौहर ये "हक़ तलाक़" बीवी को तफविज भी कर सकता है चाहे निकाह के वक्त करे या बाद में अगर शौहर अपनी बीवी से कहे की तू जब चाहे या जब कभी चाहे या जिस वक्त चाहे या जिस वक्त भी चाहे अपने आप को तलाक़ दे सकती है तो ये हक़ तफविज़ तलाक़ दाईमि और मुवककत होगा तब तक वह उस शौहर की निकाह में है उस हक़ को इस्तेमाल कर सकती है
अलबत्ता अगर बीवी किसी ख़ास मौक़ा पर बाहमी तकरार के दौरान शौहर से तलाक़ का मुतालबा करे और वह जवाब में कहे तुम अपने आप को तलाक़ दे दो या ये कहे कि तुम्हारा मामला तुम्हारे इख्तियार में है कि तुम अपना फ़ैसला ख़ुद कर लो वगैरह और ये कलमात तलाक़ की नीयत से कहे तो अगर बीवी उसी मजलिस में ये हक़ इस्तेमाल कर ले यानी यूं कहे कि मैने अपने आप को तलाक़ दी या मैने अपने नफस का ख़ुद फ़ैसला कर लिया वगैरह तो तलाक़ हो जायेगी और अगर उस मजलिस में ये हक़ इस्तेमाल ना किया तो बाद में उसे ये हक़ हासिल नहीं रहेगा
{तफहीमुल मसाइल, जिल्द 2, सफा 292}
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