Header Ads Widget

Responsive Advertisement

फातेहा में घी का चिराग़ जलाना कैसा है?

 फातेहा में घी का चिराग़ जलाना कैसा है?

islamic sawal jawab in hindi

📝 सवाल  

हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के विलादत के दिन और ग्यारहवीं शरीफ़ और शबे बरअत के वक्त जो लोग अपने घरों में चिराग़ और दिया जलाते हैं और फातेहा में भी चिराग़ और दिया जलाते हैं तो ऐसा करना सही है या फिर गलत ?

📝 जवाब  

फातेहा खानी में चिराग़ वगैरह जलाना फुजूल है और फुजूल खर्ची हराम है 

जैसा कि हुज़ूर आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खां अलैहिर रहमां फरमाते हैं कि फातिहा के वक्त घी का चिराग़ जलाना फुजूल है

{फतावा रजविया, जिल्द 9, सफा 616} 

एक और जगह इरशाद फरमाते हैं कि बगैर ज़रूरत के घी का चिराग़ जलाना इसराफ (जीस जगह शरअन आदतन या मुरौवतन खर्च करना मना हो वहां खर्च करना) और इसरफ हराम है और फातेहा खानी क़ुरान खानी या दुरुद खानी के लिए अगर चिराग़ की ज़रूरत हो और इस खयाल से की तेल में कभी बदबू आती है तो घी से चिराग़ रोशन करे और इस लिहाज़ से की चिराग़ का इस्तेमाल साफ नहीं होता और कोरे में जलाएं तो घी पिएगा और बेकार जायेगा इस लिए आटा का चिराग़ बनाएं कि आटा पीए तो उसकी रोटी बन सकती है तो उस में हर्ज नहीं मगर ये आदत बना लेना कि बगैर ज़रूरत भी फातिहा के लिए घी जलाएं वही इसराफ और हराम है और वह सुरते जवाज़ जो हमने बताई है उस में भी वह चिराग़ खाने के उपर न रखा जाए बल्कि खाने से अलग रखा जाए 

{फतावा रजविया, जिल्द 9, सफा 616} 


🍁🍁🍁🍁🍁

🕋 Islamic Sawal Jawab Group 🕋

🌹🌹🌹🌹🌹


Post a Comment

0 Comments