Islamic Quiz in Hindi - इस्लामिक सवाल जवाब
📝 सवाल
क्या जुमा के दिन रोज़ा रखना मकरूहे तंजीही है ?
📝 जवाब
खुसूसियत के साथ जुमा या हफ़्ते का रोज़ा रखना मकरूहे तंजीही है अगर किसी मखसूस तारीख को जुमा या हफ़्ता आ गया तो कराहत नहीं जैसे कि शाबानुल मुअज़म 27वीं रजब वगैरह और अगर कोई जुमा के दिन रोज़ा रखे और एक रोज़ा आगे या पीछे मिला ले जैसे कि जुमेरात और जुमा या फिर जुमा और शनिचर तो फ़िर ये मकरूह नहीं है
हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि जुमा का दिन तुम्हारे लिए ईद है इस दिन रोज़ा मत रखो मगर ये कि इस से पहले या बाद में भी रोज़ा रखो
📚{अत्तर्गीब वत्तरहीब,जिल्द2,सफा 81, हदीस 11}
📚{सही इब्ने खुजैमा,जिल्द3,सफा315,हदीस 2161}
हुज़ूर आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खां अलैहिर रहमां ईरशाद फरमाते हैं कि जुमा का रोज़ा जब उसके साथ पंजशंबा (जुमेरात) का या शम्बा (हफ़्ता) का रोज़ा भी शामिल हो तो दस हजार बरस के रोजों के बराबर है
📚 {फतावा रजविया, जिल्द 10,सफा 653}
जुमा का रोज़ा हर सुरत में मकरूह नहीं है मकरूह सिर्फ़ इस सुरत में है कि जब कोई ख़ास कर के सिर्फ़ जुमा का ही रोज़ा रखे
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