हज़रत अली की नसीहत।।Hazrat Ali Ki Naseehat
मैं जन्नत के शौक़ में इबादत नहीं करता क्योंकि ये इबादत नहीं तिजारत है, मैं दोजख के खौफ से भी इबादत नहीं करता क्योंकि ये इबादत नहीं गुलामी है , मैं इबादत सिर्फ़ इस लिए करता हूं क्योंकि मेरा रब इबादत के काबिल है और कोई नहीं।
अगर रास्ता खूबसूरत है तो पता करो कि किस मंज़िल को जाता है , लेकिन अगर मंज़िल खूबसूरत है तो रास्ते की परवाह मत करो!
दौलत मिलने पर लोग बदलते नहीं बेनकाब होते हैं
ये ना सोचो कि अल्लाह दुआ फ़ौरन क़ुबूल क्यों नहीं करता,ये शुक्र करो कि अल्लाह हमारे गुनाहों की सजा फ़ौरन नहीं देता
मुझे दुआ क़ुबूल होने की फिक्र नहीं, मुझे सिर्फ़ दुआ मांगने की फिक्र है , क्योंकि जब मुझे दुआ मांगने की तौफीक हो गई है तो कुबूलियत भी उसके साथ हासिल हो जाएगी!
रब से जब भी मांगो अच्छा मुकद्दर मांगो मैने बड़े बड़े अकलमंदों को मुकद्दर वालों के आगे झुकते देखा है!
जिस तरह शबनम के कतरे मुरझाए हुए फूल को ताज़गी देते हैं, उसी तरह अच्छी अल्फाज़ मायूस दिलों में रोशनी भरते हैं!
अच्छे लोगों की एक ये निशानी भी है कि उनको याद रखना नहीं पड़ता वो याद रह जाते हैं!
इन्सान का किरदार उसके ज़ुबान के नीचे छुपा है, अगर किसी इन्सान के किरदार का पता लगाना हो तो उसको सख्त गुस्से वक्त देखो!
इन्सान का फिजूल शौक़ में वक्त खो देना इस बात की दलील है कि अल्लाह उनसे नाराज़ है!
गरीब की मदद करो उसका दिल ना दुखाओ और उस का एहसास करो क्योंकि ग़रीब होने में ज्यादा वक्त नहीं लगता है !
जिसका राब्ता अल्लाह से हो वो नाकाम नहीं होता नाकाम वो होता है जिसकी उम्मीदें दुनियां से वाबस्ता हो!
जब तुम्हारी जान को खतरा हो तो सदका दे कर जान बचाओ, और जब तुम्हारी दिन को खतरा हो तो जान दे कर दिन बचाओ!
जब तुम दुनियां की मुफ्लिसी से तंग आ जाओ और रिज्क का कोई रास्ता ना निकले तो सदका दीया करो और अल्लाह से तिजारत करलो!
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