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जुम्मे के दिन की फजीलत क्या है? Jumme ki fazilat

 जुम्मे के दिन की फजीलत क्या है?Jumme ke din ki fazilat

जुम्मे के दिन की फजीलत क्या है?


जुमा के दिन कुबुलियत वाली घड़ी-Juma ki Fazilat Hadees

रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया 

" जुमा के दिन एक घड़ी ऐसी है कि जो मुसलमान उस घड़ी में अल्लाह तआला से भलाई का सवाल करे तो अल्लाह तआला उसको कुबूल करते हैं और अपने हाथ से इशारा किया कि वह वक्त कलिल (थोड़ा) होता है "

📚{बुखारी शरीफ़ 935}📗{मुस्लिम शरीफ़ 852} 


अबु मुसा अशअरी रजियल्लाहो अन्हो से रवायत है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया 

" जुमा के दिन कुबुलियत की घड़ी इमाम के (मेम्बर) पर बैठने से लेकर नमाज़ तक होती है "

📚{मुस्लिम शरीफ़ 853}


हज़रत जाबिर इब्न अब्दुल्लाह रजियल्लाहो अन्हो से रवायत है कि हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि 

" उस घड़ी को असर के बाद तलाश करो "

📚{अबु दाऊद 1048}


हज़रत अनस बिन मालिक रजियल्लाहो अन्हो से रवायत है कि हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया

" उस घड़ी को जुमा के दिन असर से गुरूब आफताब तक तलाश करो " 

📚{तिरमिजी शरीफ़ 498}


जुम्मा के दिन क्या क्या पढ़ना चाहिए?

रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम का इरशाद है

" जिसने जुमा के दिन ख़ूब अच्छी तरह गुसल (नहाना) किया, जल्दी मस्जिद में आया, और इमाम के क़रीब बैठा , फ़िर गौर से खुत्बा सुना, और कोई गलत काम नहीं किया तो उसके हर क़दम के बदले एक साल के रोज़ों और रात के नफलों का सवाब उसे मिलेगा "

📚{इब्न माजा}


Jumme ke din ka amal- जुमा के मुबारक दिन के लिए मसनून आमाल

मिस्वाक करना, गूसल (नहाना) करना, उम्दा कपड़े पहनना, तेल और खुश्बू लगाना, नमाज़ जुमा के लिए पैदल जाना, मस्जिद जल्दी पहुंचना, इमाम के क़रीब बैठना और खुत्बा गौर से सुनना, सुरए कहफ़ की तिलावत करना, कसरत से दुरूद शरीफ़ पढ़ना, दुवाओं का एहतमाम करना 

जुमा के दिन की फजीलत-Jumma Ki Fazilat hindi 2022

रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम का इरशाद है

"ऐ अल्लाह मैं तकब्बुर की बुराई से तेरी पनाह मांगता हूं और फ़रमाया कि जो शख़्स दुनियां से इस हाल में जाए कि वह तीन चीज़ों से बरी (अलग) हो वह जन्नत में जायेगा (1)तकब्बुर(2) क़र्ज़ (3)खियानत

📚{मकाशिफतुल कुलुब}


हमारी तरफ़ से Jumma ki dua in hindi तमाम मुसलमानों के लिए 

ऐ मेरे रब मुझे तन्हा (अकेला) न छोड़ तेरे सिवा मेरा और कोई सहारा नहीं मुझे दुखों से नजात दे और मुझे सब्र से जीना सीखा दे,

ऐ तमाम जहानों के बादशाह मैं तुझसे तेरी रहमत का सवाल करता हूं , ऐ अल्लाह इस दुनियां में जितने भी मजबूर लोग हैं जो तेरे अलावा अपनी मजबूरी किसी को बता भी नहीं सकते तू उन सब लोगों की मुश्किलात को हल फरमा (आमीन)


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