अज़ान का जवाब और जन्नत
हज़रत अब्दुल्लाह इब्न उमर बिन आस फरमाते हैं ;
कि फ़रमाया रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने;
जब तुम मुअज्जन को सुनो तो तुम भी वही अल्फाज़ कहो जो वो कह रहा है,
फ़िर मुझ पर दुरूद भेजो , क्यूंकि जो मुझ पर एक दुरुद भेजता है , अल्लाह उस पर दस रहमतें नाजिल फरमाता है,
फिर अल्लाह से मेरे लिए वसीला मांगो वह जन्नत में एक दर्जा है , जो अल्लाह के बंदों में से एक ही के मुनासिब है,
मुझे उम्मीद है कि वह मैं ही हूंगा ,जो मेरे लिए वसीला मांगे उसके लिए मेरी शफ़ात लाज़िम है
(मुसलीम शरीफ़)
वाल्लाहो आलमो बिस्सवाब
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